देश का भविष्य युवाओं के हाथ में होता है. और युवाओं का भविष्य स्कूल में बनता है. लेकिन स्कूल के भविष्य का क्या? एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां करीब 220 छात्राओं का भविष्य सिर्फ स्कूल की बदइंतजामी के कारण अधेंरे में आ गया है. ये वाकया है झारखंड के शहर जमशेदपुर का. जमशेदपुर जिले के इचागढ़ में एक स्कूल से 220 छात्राओं ने अपने नाम हटवा लिए. जिसका कारण वहां टॉयलेट की कमी बताई गई, साथ ही स्कूल में सुरक्षा व्यवस्था में भारी कमी का भी हवाला दिया गया.

कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल में छात्राओं की संख्या 300 के करीब है जहां ये छात्राएं रहती भी है. छात्राओं की माने तो इतनी बढी संख्या होने के बावजूद स्कूल में सिर्फ 5 टॉयलेट हैं. इस कमी के कारण कई बार उन्हें टॉयलेट के लिए बाहर जाना पड़ता था. जहां उन्हें लड़को के मनचलेपन का शिकार होना पड़ता था. स्कूल के चारो ओर सुरक्षा के लिए कोई भी दीवार नहीं है जिस कारण कोई भी स्कूल के अंदर आ-जा सकता है. स्कूल प्रशासन ने इस बात की शिकायत पुलिस से कई बार की लेकिन कुछ ज़्यादा फायदा नहीं हुआ. सरकार भी इन स्कूलों पर ध्यान नहीं दे रही. स्कूल बना कर वो अपनी पीठ खुद ही थपथपा लेती है लेकिन ऐसे स्कूल मूलभूत सुविधाओं के लिए आज भी मोहताज ही नजर आते हैं. ये तो सिर्फ़ 1 स्कूल का मामला है जो सामने आया है. न जाने कितने ऐसे स्कूल और उनमें पढ़ने वाले कितने ही छात्र छात्राएं रोज ऐसी समस्याओं का सामना करते होंगे.
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